चंद्रयान-3 की सफलता ने विदेशियों की धारणाएं बदल कर रख दी : एस जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के विभाजन ने कई मायनों में उस प्राकृतिक संपर्क को तोड़ दिया जो पूर्वोत्तर के पास था या अभी होता।
दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में 'दक्षिण पूर्व एशिया और जापान के साथ पूर्वोत्तर भारत का एकीकरण : आर्थिक संबंधों और पारिस्थितिक संरक्षण को संतुलित करना' विषय पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान, जयशंकर ने कहा कि भारत के विभाजन से पूर्वोत्तर राज्यों की नेचुरल कनेक्टिविटी टूट गई। साथ ही, राजनीतिक बाधाओं के साथ-साथ प्रशासनिक मुद्दों की वजह से इस क्षेत्र के विकास पर असर पड़ा।
एस जयशंकर ने क्या कहा?
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के विभाजन ने कई मायनों में उस प्राकृतिक संपर्क को तोड़ दिया जो पूर्वोत्तर के पास था या अभी होता। इसकी वजह से पूर्वोत्तर को जो विकास का स्तर देखना चाहिए था वह धीमा हो गया। इसके बाद पहले कुछ दशकों में विभाजन के बाद राजनीतिक बाधाओं और प्रशासनिक मुद्दों की वजह से पूर्वोत्तर को वह फायदा नहीं मिला जो देश के अन्य हिस्सों को मिला। विदेश मंत्री ने इसके साथ ही कहा कि पूर्वोत्तर में मौजूदा आर्थिक स्थिरता मजबूत स्थिति की तरफ बढ़ रही है।
जयशंकर ने कहा कि हम अभी जो विकास देख रहे हैं, ईमानदारी से कहूं तो यह बहुत पहले ही आ जाना चाहिए था। जैसा कि मैं हमेशा कहता हूं कि भारत सरकार को पहले की पूर्व दिशा की ओर देखना चाहिए और फिर उत्तर-पूर्वी राज्यों को देखना चाहिए। तभी पूर्वोत्तर की क्षमता और संभावनाओं की पूरी सराहना की जाएगी।
चंद्र मिशन से विदेशियों की धारणाएं बदल गई
इसके अलावा जयशंकर ने कहा कि भारत ने जिस तरह से कोविड-19 महामारी को संभाला, उसे देखने के बाद विदेश में रहने वाले लोगों की धारणा बदल गई है। भारत के चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' का विदेशों में रहने वाले भारतीयों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
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