हिंदू धर्म में हर त्योहार का विशेष महत्व है. सालभर में चार बार आने वाली मां के नवरात्रि में से चैत्र माह के नवरात्रि बेहद खास है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से इन नवरात्रि की शुरुआत होती है. इन दिनों में मां के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है. भक्तों में नवरात्रि को लेकर बहुत उत्साह देखने को मिलता है. इन 9 दिनों में व्रत, पूजा के साथ-साथ कई तरह के उपाय किए जाते हैं, ताकि मां की कृपा पाई जा सके. साथ ही, नवरात्रि के आखिरी दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाता है.
राम नवमी का पर्व नवरात्रि का आखिरी दिन होता है. इस दिन छोटी कन्याओं को घर पर बुलाकर कंजक जिमाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन राम जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन रामनवमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विधिविधान के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा अर्चना की जाती है. जानें रामनवमी की इतिहास, महत्व और पूजा विधि के बारे में.
क्यों मनाई जाती है रामनवमी
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने भगवान राम के अवतार में धरती पर जन्म लिया था. भगवान राम ने जगत के कल्याण और रावण जैसे अधर्मियों का नाश करने के लिए अवतार लिया था. रामनवमी का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी दर्शाता है.
राम नवमी का महत्व
हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार जो भी इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान राम की पूजा-अर्चना करता है, भगवान राम उसके जीवन को सुख और समृद्धि से भर देते है. मान्यताओं के अनुसार रामनवमी के दिन मां दूर्गा के सभी स्वरूप और भगवान राम की पूजा करने वालों को मनवांधित फलों की प्राप्ती होती है. मां दूर्गा और भगवान राम अपने भक्तों के सभी समस्याओं को हर लेते हैं.
राम नवमी पूजा विधि
- राम नवमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें. स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें. फिर परिवार के सभी लोग भगवान श्री राम, लक्ष्मण और मां सीता की विधि-विधान से पूजा करें. पूजा से पहले इन्हें कुमकुम, सिंदूर, रोली, चंदन, आदि से तिलक लगाएं. और बाध में चावल और तुलसी अर्पित करें.
- राम नवमी के दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को तुलसी अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. पूजा में देवी-देवताओं को फूल अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं.
- फिर घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर श्री रामचरित मानस , राम रक्षा स्तोत्र या रामायण का पाठ करें.
- श्री राम, लक्ष्मण जी और मां सीता को झूला झुलाने के बाद उनकी आरती करें और लोगों में प्रसाद वितरण करें.