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29 मार्च : आज ही के दिन हुआ था 1857 विद्रोह का शंखनाद...अंग्रेजी हुकूमत के माथे पर मंगल पांडे जी ने ठोकी थी पहली गोली

देश की स्वाधीनता के महासमर में 29 मार्च का दिन बेहद अहम है.

Sumant Kashyap
  • Mar 29 2024 12:51AM

देश की स्वाधीनता के महासमर में 29 मार्च का दिन बेहद अहम है. इसी दिन 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पांडे जी ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी जला दी थी. धीरे-धीरे यही चिंगारी पूरे देश में स्वतंत्रता आंदोलन की वह आग बनी, जिसने अंग्रेजी हुकूमत के जड़ों को हिला कर रख दिया. मंगल पांडे जी की इस क्रांति की ज्वाला को दबाने के लिए अंग्रेजों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी.

मंगल पांडे जी का जन्म 19 जुलाई 1827 को अयोध्या के सुरुरपुर में हुआ था. वह 1849 में 18 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्ट्री में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे. 1850 में सिपाहियों के लिए नई इनफील्ड राइफल लाई गई. इन नई इनफील्ड राइफलों के कारतूस में गाय की चर्बी मिली होती थी. इस कारतूसों को उपयोग करने से पहले मुंह से काटना पड़ता था. ऐसे में यह बात हिंदुओं धार्मिक भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ था.

मंगल पांडे जी ने इस बात का विरोध किया और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बता दें कि 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे जी ने विद्रोह कर कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया. जिसके चलते उन्हें सेना से निकाल दिया गया. पांडे जी ने विद्रोह करते हुए कई सिपाहियों को साथ ले लिया और अंग्रेज अफसर हेअरसेय पर हमला बोल दिया. उन्होंने 'मारो फिरंगी को' का नारा भी दिया.

29 मार्च, 1857 की दोपहर को बैरकपुर में मंगल पांडेय जी का गुस्सा अंग्रेजों के खिलाफ चरम पर था. उन्होंने परेड मैदान पर ही मेजर ह्यूसन को गोली मार दी तथा लेफ्टिनेंट बाग को तलवार से काट दिया. किसी तरह अंग्रेजों ने मंगल पांडे जी को गिरफ्तार कर लिया. उनका कोर्ट मार्शल कर 18 अप्रैल 1857 को उनको फांसी की सजा सुनाई गई. लेकिन अंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे जी का साथ देने के लिए अन्य सैनिक भी बगावत पर उतर सकते हैं. इसीलिए उन्होंने निर्धारित समय से पहले ही उनको फांसी देने की योजना बनाई.

मंगल पांडेय जी जी द्वारा फूंका गया बिगुल जल्द ही आग की तरह पूरे हिंदुस्थान में फैल जाएगा. विद्रोह की चिंगारी मेरठ की छावनी पहुंच गई थी. 10 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने मेरठ की छावनी में बगावत कर दी.

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