BSF वही है जिसके बूटों की धमक बंगलादेश, पाकिस्तान सीमाओं पर राष्ट्र को संदेश देती है कि चैन से सो जाओ, राष्ट्र के प्रहरी जाग रहे हैं. आतंकवाद उस समय अपने चरम पर था. न सिर्फ सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी अपितु अर्धसैनिक बलों ने भी अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी किसी भी हालत में इस कलंक को धोने के लिए.
हमारे रक्षक किसी भी रूप में राष्ट्र के इन पाकिस्तान परस्त गद्दारों को खत्म कर के राष्ट्र की जनता को निर्भयता देने की कोशिश कर रहे थे. उसी प्रयासों में शामिल थी. BSF अर्थात सीमा सुरक्षा बल की बटालियन नम्बर 84...तत्कालीन कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र सोपोर के मुख्य बाज़र में में राष्ट्र के 2 रक्षक BSF की 84 नम्बर बटालियन के हेड कांस्टेबल बलिदानी परवान सिंह जी और दूसरे अमर बलिदानी सब इन्स्पेक्टर धरम सिंह जी की तैनाती थी.
दोनों की सतर्क निगाहें आम जनता में छिपे राष्ट्र के शत्रुओं को तलाश रही थी कि अचानक वो दिख ही गए. फिर शुरू हुई आमने सामने की जंग. आतंकी के जंग में न कोई नियम था, न कोई कानून था, न कोई एहतियात था, न कोई किसी की चिंता थी लेकिन BSF के जवाब में मानवाधिकार के नियम थे, खुद BSF के बनाये कायदे थे.. आम नागरिकों की सुरक्षा की चिंता थी, आतंकियों को जिंदा गिरफ्तार करने के प्रयास थे.
आखिरकार इस पूरी जंग में राष्ट्र ने खो दिए 2 वीर योद्धा जिनके नाम थे बलिदानी हेड कॉन्स्टेबल परवान सिंह जी और बलिदानी सब इन्स्पेक्टर धरम सिंह जी. आज उन राष्ट्र के दोनों रक्षकों को उनके अमरता दिवस पर बारम्बार नमन और वन्दन करते हुए उनकी गौरवगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन न्यूज परिवार दोहराता है. जिस जिये सिर्फ राष्ट्र के लिए ..
जय हिंद की सेना